Vanvaas movie review Nana Patekar performance

वनवास मूवी रिव्यू: नाना पाटेकर का दमदार शो

First View : मित्रों, वनवास मूवी नाना पाटेकर के अभियन पर पूर्णत टिकी है। आज मैं आपको इससे संबंधित संक्षिप्त रिव्यू दे रहा हूं। आशा है आपको रिव्यू पसंद आयेगा। दोस्तों, आप जानते ही है। कि अनिल शर्मा एकउर्जावान निर्देशक हैं। उनकी मूवी हमेशा नयापन लिये होती है। जिसमें कुछ ना कुछ संदेश अवश्य होता है। वर्तमान में अनिल शर्मा ने गदर 2 की सफलता के बाद वनवास नामक एक और फेमली ड्रामा प्रस्तुत किया है। जिसमें नाना पाटेकर, उत्कर्ष शर्मा और सिमरत कौर की मुख्य भूमिका हैं। हम आज फिल्म की कहानी, अभिनय, निर्देशन और संगीत पर चर्चा करेगें। मित्रों, आप पढ़ रहे हैं लेख, Vanvaas movie review Nana Patekar performance.

पारिवारिक ड्रामा और सामाजिक संदेश की कहानी

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यह कहानी दीपक त्यागी (नाना पाटेकर) से प्रारंभ होती है।

कहानी शिमला की पृष्टभूमि पर आधारित है।

दीपक शिमला में अपने परिवार के साथ जन्मदिन मना रहे हैं।

कहानी का प्रमुख पात्र दीपक गंभीर बीमारी से पीढ़ित है।

उसे ड़िमनेशिया है। वह अपनी पत्नी को बहुत चाहते हैं। इसलिये उनकी याद में अपना शिमला का घर दान करना चाहते हैं। लेकिन परिवार के सदस्य उनके इस निर्णय से ख्ुश नहीं है। विशेष रूप से उनके बेटे नहीं चाहते की यह घर दान में दिया जाये।

कहानी में बेटों को स्वार्थी दर्शाया गया है।

उनकी इस मानसिकता के कारण वे वाराणसी आ जाते हैं।

वह अपनी बिगड़ती हालत में वाराणसी में रहने लगते हैं।

एक तरह से उन्हें जहां उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया जाता है।

वाराणसी में दीपक की मुलाकात वीरू (उत्कर्ष शर्मा), मीना (सिमरत कौर), और पप्पू (राजपाल यादव) से होती है।

वीरू एक पेशेवर अपराधी है। वह चोर है। वह दीपक की मदद करने का फैसला करता है।

इस स्थिति में कहानी दीपक त्यागी की याददास्त लौटाने में आने वालो संघर्षो से जुडी है।

वे याददास्त लौटने के साथ ही अपने परिवार से जुड़ना चाहते हैं।

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मूवी का लेखन और निर्देशन

वैसे तो अनिल शर्मा अपनी कहानी में विविधता लाते है। वह स्टंट से लेकर गैर पारंपरिक मनोरंजन जैसी फिल्में बनाते रहे हैं।

इस फिल्म में अनिल शर्मा ने नया प्रयोग किया है। उन्होंने फिल्म को भावनात्मक बनाने की कोशिश की है।

लेकिन जब भी कोई फिल्म भावनात्मक बनती है, उसकी गति धीमी हो जाती है। यही इस मूवी में देखने को मिलता है।

जिससे दर्शक को फिल्म के साथ सामंजस्य बैठाने में दिक्कत होती है। Vanvaas movie storyline and performance is impressive.

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  • मूवी का पहला भाग बेहतर कहा जायेगा। यह भाग दर्शक को बांधे रखने में कामयाब हैं। लेकिन दूसरे भाग में कहानी का धीमापन तथा दोहराव अखरने लगता है।
  • कलाकार नाना पाटेकर की अपनी स्टाइल है। उनके संवाद का अपना अलग ढंग है। इस मूवी में उनके मोनोलॉग और संवाद भी कहीं-कहीं बोझिल से लगने लगते हैं।
  • यह मूवी160 मिनट की है। जिसपर और भी काम किये जाने की आवश्यता थी। फिल्म को संपादनके जरिये कुछ छोटा किया जा सकता था।

मूवी का संगीत और बैकग्राउंड

मूवी का संगीत कहानी के साथ मेल खाता है।

लेकिन यह स्वतंत्र रूप से अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाता है।

बैकग्राउंड म्यूजिक कहानी को भावनात्मक गहराई देने में सफल रहा है। Read other article on Home & Kitchen appliances.

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नाना पाटेकर का दमदार अभिनय

  • नाना पाटेकर दीपक त्यागी के किरदार में उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया है। क्लाइमेक्स में उनकी भावनात्मक गहराई और आत्म-समर्पण का चित्रण प्रशंसनीय है। वैसे भी उनका अभिनय अद्धितीय होता है। Nana Patekar emotional scenes in Vanvaas movie attrect everyone.
  • उत्कर्ष शर्मा और सिमरत कौर आप मूवी देखेंगे तो समझ जायेगें। मूवी के मुख्य किरदारों के बावजूद, वे अपने अभिनय और प्रस्तुतिकरण में बहुत अच्छी तरह से प्रभावित नहीं कर पाते हैं।
  • राजपाल यादव और अश्विनी कालसेकर राजपाल यादव अच्छे अभिनेता है। उन्होंने फिल्म के अनुरूप अभिनय करने का प्रयास किया है। वे अपनी तरफ से मूवी में जान डालने की पूरी कोशिश करते दिखाई पड़ते है।

मूवी के मुख्य बिंदु

  • सिनेमेटोग्राफी: काशी और शिमला का माहौल फिल्म में वास्तविकता का अहसास कराता है। यह फिल्म की उपलब्धि कही जायेगी।
  • कहानी का संदेश: फिल्म पारिवारिक रिश्तों, सामाजिक मूल्यों और बुजुर्गों की उपेक्षा जैसे मुद्दों को उजागर करती है। इस तरह की मूवी पहले भी बनी है। जिसे कलात्मक फिल्मों का नाम देकर सराहा गया है। यह भी उसी श्रेणी की मूवी है।
  • कमियां: कमजोर पटकथा, लंबा रनटाइम और सहायक कलाकारों का सही उपयोग न होना। मूवी में यह सभी कुछ अखरता है। वैसे आम दर्शक मूवी को देखकर क्या राय बनाता है। यह देखने वाली बात होगी।

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मूवी अनिल शर्मा की फैसला आपका

इस मूवी की विशेषता नाना पाटेकर का दमदार अभिनय है। Vanvaas film acting and storyline tell something you.

उनके अभिनय पर पूरी फिल्म टिकी है। उनके संवाद, अभिनय, हाव भाव दर्शक को अवश्य प्रभावित करेगें। यह अवश्य है कि फिल्म के निर्देशन पर कार्य किया जा सकता था। कहानी को लिखते समय इसकी सुगढ़ता तथा विस्तृत केनवास पर ध्यान दिये जाने की आवश्यकता थी।

क्योंकि शिमला तथा वाराणसी के बैकग्राउंड पर विशेष ध्यान दिया जाना जरूरी होता है।


ओपीनियन Opinion

हमारा ओपीनियन तो हम दे रही रहे हैं। यदि आप नाना पाटेकर के प्रशंसक हैं।

आप उनकी अदाकारी और संवाद संप्रेषण पसंद करते हैं तो यह आपके लिये है। यह मूवी ना तो पूर्णतः व्यावसायिक है और ना ही पूर्णतःकलात्मक है। यही इसका दोष है। यदि अनिल शर्मा मूवी पूर्णतः कलात्मक बनाते तो यह और भी अच्छी बनती है। ऐसा नहीं है कि कलात्मक सिनेमा के दर्शक नहीं हैं।

भले ही वे थोडे हों, लेकिन गहन, गंभीर, विचारशील तथा संवेदनशील हैं।

मर्जी आपकी है, मूवी देखें अथवा छोड़े। This is not Detailed Vanvaas movie review and rating,

हमारा ओपीनियन है कि मूवी को नाना पाटेकर के अभिनय के कारण देख सकते हैं।

This is Nana Patekar Vanvaas emotional drama.

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