Ajit Bollywood Villain Icon

बॉलीवुड के सबसे स्टाइलिश विलेन : अजीत

First view: मित्रों, बॉलीवुड में कई ऐसे खलनायक आए, जिन्होंने अपनी एक्टिंग और दमदार संवाद अदायगी से दर्शकों के दिलों पर राज किया। लेकिन जब बात स्टाइलिश विलेन की होती है, तो सबसे पहला नाम अजीत साहब का आता है। उनका असली नाम हामिद अली खान था और वे 27 जनवरी 1922 को हैदराबाद में जन्मे थे। उनका फिल्मी सफर संघर्षों से भरा था, लेकिन जब उन्होंने फिल्मों में विलेन के रूप में कदम रखा, तो वे इस किरदार के लिए आइकॉनिक बन गए। आप पढ रहे हैं, Ajit Bollywood Villain Icon.

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अजीत साहब का शुरुआती जीवन और फिल्मी करियर

अजीत साहब ने अपना करियर बतौर हीरो शुरू किया था।

1940 के दशक में उन्होंने कई फिल्मों में मुख्य भूमिका निभाई, लेकिन उन्हें वह सफलता नहीं मिली जिसकी उन्हें उम्मीद थी। 1950 के दशक में भी उन्होंने कई फिल्मों में काम किया, लेकिन वे बड़े स्टार नहीं बन पाए।

हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी और 1960 के दशक में उन्होंने कैरेक्टर आर्टिस्ट और विलेन के रूप में काम करना शुरू किया। उनकी अनूठी संवाद अदायगी, खास स्टाइल और बेहतरीन स्क्रीन प्रजेंस ने उन्हें बॉलीवुड के सबसे यादगार विलेन में से एक बना दिया।

अजीत साहब और सुभाष घई की पहली मुलाकात

जब डायरेक्टर सुभाष घई अपनी पहली फिल्म कालीचरण (1976) बना रहे थे, तो उन्हें एक दमदार विलेन की जरूरत थी। उन्होंने इस रोल के लिए अजीत साहब को चुना।

सुभाष घई ने अपने एक इंटरव्यू में बताया कि वे कॉलेज के दिनों से ही अजीत साहब के बड़े फैन थे। उन्होंने मुगल-ए-आज़म और ज़ंजीर में उनका शानदार अभिनय देखा था।

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जब सुभाष घई पहली बार अजीत साहब के घर गए, तो वे थोड़े नर्वस थे। लेकिन अजीत साहब ने उनका बहुत गर्मजोशी से स्वागत किया। जब घई ने कालीचरण की स्क्रिप्ट सुनाई, तो अजीत साहब ने कहा:

“जिस तरह से तुमने मुझे कहानी सुनाई, मैंने हर सीन विज़ुअलाइज़ कर लिया। तुम ही इसे डायरेक्ट करने के लिए सबसे सही इंसान हो।”

“सारा शहर मुझे लॉयन के नाम से जानता है” – एक आइकॉनिक डायलॉग

कालीचरण में अजीत साहब ने लॉयन नामक विलेन का किरदार निभाया था।

उनकी संवाद अदायगी और बॉडी लैंग्वेज इतनी दमदार थी कि उनका यह डायलॉग –

“सारा शहर मुझे लॉयन के नाम से जानता है”

पूरे देश में सुपरहिट हो गया।

इस फिल्म के बाद अजीत साहब की पहचान एक नए स्टाइलिश विलेन के रूप में बन गई। 70 और 80 के दशक में उन्होंने कई फिल्मों में नेगेटिव रोल किए, लेकिन उनका हर किरदार अलग और खास था। सनम तेरी कसम 2, फिर क्यों लौट रही है, यह क्लासिक कल्ट।पढ़े।

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यादगार फिल्में

अजीत साहब ने कई ब्लॉकबस्टर फिल्मों में दमदार किरदार निभाए। कुछ प्रमुख फिल्में:

  • मुगल-ए-आज़म (1960) – राजा मानसिंह का किरदार
  • ज़ंजीर (1973) – तेजा के रूप में
  • यादों की बारात (1973) – एक दमदार रोल
  • कालीचरण (1976) – लॉयन के रूप में
  • चरस (1976), मिस्टर नटवरलाल (1979), कालिया (1981) – जबरदस्त विलेन के रूप में

डायलॉग डिलीवरी और स्टाइल

अजीत साहब की पहचान उनके खास डायलॉग स्टाइल से थी। उनके बोले हुए संवाद लोगों की जुबान पर चढ़ जाते थे।

उनके कुछ मशहूर डायलॉग्स:

  • “लिली, डोंट बी सिली!” (यादों की बारात)
  • “मोना डार्लिंग!” (कालिया)
  • “तेजा मैं हूं, मार्क इधर है!” (ज़ंजीर)

उनका हर किरदार अलग था, लेकिन उनकी स्टाइल हमेशा क्लासिक और अट्रैक्टिव लगती थी।

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सुभाष घई और अजीत साहब की दोस्ती

कालीचरण में काम करने के बाद, अजीत साहब और सुभाष घई के बीच गहरी दोस्ती हो गई।

अजीत साहब ने घई को नई पीढ़ी का बेहतरीन डायरेक्टर बताया और कहा:

“तुम नई पीढ़ी के डायरेक्टर हो और खुद भी एक्टर हो। तुम देखना, तुम्हें मुझसे कैसे काम कराना है। मुझे संभाल लेना तुम।”

यह उनके प्रोफेशनलिज़्म और नए टैलेंट को सपोर्ट करने के जज़्बे को दिखाता है। Read about freelancer meaning in hindi.

बॉलीवुड के नए विलेन और अजीत साहब की जगह

अजीत साहब के बाद अमरीश पुरी, गुलशन ग्रोवर, डैनी, प्रेम चोपड़ा जैसे नए विलेन आए।

लेकिन अजीत साहब का स्टाइल और क्लास कोई मैच नहीं कर पाया

उनका अंदाज़ इतना अनोखा था कि कई नए एक्टर्स ने उनकी नकल करने की कोशिश की, लेकिन वे उनकी तरह का प्रभाव नहीं छोड़ पाए।

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निजी जीवन और अंतिम समय

अपने फिल्मी करियर में सफलता पाने के बाद भी अजीत साहब बहुत सादगी से रहते थे

उन्होंने अपने करियर में 200 से ज्यादा फिल्में कीं, लेकिन वे कभी स्टारडम के घमंड में नहीं आए।

1998 में 76 साल की उम्र में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। लेकिन उनकी फिल्में और डायलॉग आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं।

Opinion

अंत मे हमारा ओपिनियन, अजीत साहब बॉलीवुड के सबसे स्टाइलिश और यादगार विलेन थे। उनका अंदाज, उनकी डायलॉग डिलीवरी और उनकी स्क्रीन प्रजेंस उन्हें आज भी सबसे अलग बनाती है।

आज भी जब हम “सारा शहर मुझे लॉयन के नाम से जानता है” या “लिली, डोंट बी सिली” सुनते हैं, तो सिर्फ एक ही चेहरा याद आता है – अजीत साहब!

उनकी फिल्मों, डायलॉग्स और किरदारों ने उन्हें बॉलीवुड का सदाबहार खलनायक बना दिया है।

आपको यह लेख कैसा लगा? आपके विचार कमेंट बॉक्स में अवश्य दें।

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