Sheetal Devi’s journey in archery

मित्रों, आज की कहानी उस जाबांज लड़की कहानी है जिसने अपने परिश्रम के दम पर मुकाम हासिल किया है। आज हम जब तीरंदाजी की बात करें तो किसका नाम सामने आयेगा? निश्चित रूप से आप कहेगें शीतल देवी का। यह एक ऐसी खिलाड़ी है जिसने अपनी कमियों को अपनी खूबी बनाया है। क्या कहीं ऐसा भी होता है कि बिना हाथों के तीरंदाजी की जाती है? यह वह लड़की है जिसने पूरे विश्य को अपनी कला से मंत्रमुग्ध कर दिया है। मित्रों, आप पढ़ रहे हैं लेख, Sheetal Devi’s journey in archery.

आइये अब जानते हैं शीतल देवी के बारे में

शीतल देवी का जीवन

शीतल देवी का जन्म 10 जनवरी 2007 को जम्मू-कश्मीर के छोटे से गांव किश्तवाड़ में हुआ था। यह कहानी Inspiring disabled female archer की कहानी है। जो मोटीवेट करती है।

उनकी कहानी बताती है कि How disabled athletes overcome challenges.

उनके पिता किसान हैं और उनकी मां बकरियां चराती हैं।

शीतल का जन्म बिना हाथों के हुआ, जिसे ‘फोकोमेलिया’ नामक बीमारी के कारण माना जाता है।

इस बीमारी में अंग पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाते हैं, लेकिन शीतल ने कभी हार नहीं मानी और तीरंदाजी की दुनिया में अपने लिए एक खास मुकाम बना लिया। ऐसी गिनी चुनी Female athletes with disabilities in sports में होंगी।

Sheetal Devi’s journey in archery

तीरंदाजी की यात्रा का आरंभ

तीरंदाजी की यात्रा की शुरुआत बेहद साधारण तरीके से हुई।

15 साल की उम्र तक उन्होंने कभी धनुष और बाण नहीं देखा था। लेकिन जब उन्हें पेड़ पर चढ़ते हुए देखा गया, तो उनकी प्रतिभा को पहचाना गया।

वर्ष 2022 में, वह जम्मू के कटरा स्थित श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड खेल परिसर पहुंचीं।

यहाँ उनकी मुलाकात अभिलाषा चौधरी और कोच कुलदीप वेदवान से हुई, जिन्होंने शीतल की तीरंदाजी की ट्रेनिंग शुरू की।

Sheetal Devi’s journey in archery

शीतल देवी का विशिष्ट अंदाज

शीतल देवी यूं ही विश्व प्रसिद्ध नहीं हो गई। उन्होंने इसके लिये कठिन परिश्रम किया है।

तीरंदाजी की कला को पूरी तरह से आत्मसात किया है। उनका अनूठा अंदाज प्रभावित करता है।

वे हाथ ना होने के बावजूद भी पैरों से तीर चलाती है। वह कुर्सी पर बैठती हैं।

मित्रों, उसके पश्चात दाहिने पैर से स्वयं धनुष उठाती है। उसके पश्चात दाहिने कंधे से डोर खींचती है।

अब बारी आती है। तीर छोड़ने की। वह जबड़े के द्वारा ताकत लगाकर तीर छोड़ती है। यह देखकर दर्शक आश्चर्यचकित रह जाते हैं। उनका अनोखा अंदाज लोगों के दिल की गहराई तक उतर जाता है। उनका सटीक निशाना बताता है कि वह असाधारण प्रतिभा की धनी है।

उनका कुछ भी ईश्वर प्रदत्त नहीं है।

बल्कि उन्होंने अपनी मेहनत से, कौशल से हासिल किया है।

Sheetal Devi’s journey in archery

उपलब्धियाँ

एशियाई पैरा गेम्स 2023 में शीतल देवी ने शानदार प्रदर्शन किया है।

इसमें उन्हें दो गोल्ड मेडल सहित तीन मेडल मिले। उनके जैसा Armless Archer World Record बनाने वाला शायद ही कोई होगा।

एक शेशन में दो गोल्ड जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाडी है। इस उपलब्धि पर उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। Read other Home & Kitchen appliances Related artice on our site.

पेरिस पैरालंपिक में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया

उन्होंने पेरिस पैरालंपिक में शानदार प्रदर्शन करते हुए वर्ल्ड रिकॉर्ड बनया है।

उन्होंने कंपाउंड आर्चरी के रैंकिंग राउंड में 703 अंक हासिल प्राप्त किये।

इस आश्चर्यजनक कारनामें पर उनका नाम विश्व भर में रोशन हो गया।

उन्होंने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। यह अवश्य है कि थोडी देर बाद यह टूट गया। तुर्की की महिला खिलाडी ओजनुर गिर्डी क्योर ने 704 अंकों के साथ इसे तोड़ दिया। यह World record achievements by disabled athletes का अनोखा रिकॉर्ड है।

शीतल ने दूसरा स्थान प्राप्त किया। इसके साथ ही उन्होंने मिक्स्ड टीम इवेंट के लिए क्वालीफाई किया।

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शीतल की सफलता का राज

उनकी सफलता का राज कोई नया नहीं है। अनेक मोटीवेशनल स्पीकर जिसे समझाते आये हैं।

उसी ने शीतल की राह आसान बनाई है। उनका साहस एवं आत्मविश्वास इसके पीछे है।

यह स्टोरी Motivational stories of disabled women in sports है।

उनके माता पिता सहित कभी किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि यह लड़की विश्व स्तर पर नाम रोशन करेगी। उन्होंने वह काम किया जो हाथों के अतिरिक्त अन्य सहायता प्राप्त होने के बाद भी लोग नहीं कर पाते हैं।

उनकी कहानी सीख देती है।

यदि इरादे मजबूत हों तो कुछ भी किया जा सकता है।

शारीरिक बाधाये केवल बाधा है। वह भी तब तक जब आप उन्हें बाधा समझते हैं।

दिव्यांगता शरीर में नहीं होती है। वह मन में होती है।

इस Indian female archer without arms ने वह किया जिसे वर्षो याद रखा जायेगा।

जब कोई व्यक्ति मन में यह मान लेता है कि वह दिव्यांग है। तो शरीर भी दिव्यांग जैसा व्याव्हार करने लगात है।

लेकिन मन में दिव्यांग्ता का भाव निकलते ही जीवन में आशा का संचार हो जाता है।

व्यक्ति सफलता की सीढियां चढने लगता है। जब शीतल कर सकती है तो आप भी कर सकते हैं। बस एक बार सच्चे दिल से प्रयास करने की जरूरत है।

शीतल देवी की कहानी

उनकी यह कहानी सिर्फ तीरंदाजी की कहानी नहीं है। यह प्रेरणा है। You are reading, Sheetal Devi’s journey in archery.

यह आत्मबल बढ़ाने का टानिक है। यह उन लोगों के लिये सबक है। उनके लिये जो चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। हौसले बुलंद हो तो किसी भी मुकाम को देर सबेर हासिल किया जा सकता है।

मित्रों, उनकी अद्भुत यात्रा को देखकर प्रेरणा लेनी चाहिए। Read about money making app in hindi.

निष्कर्ष

उनके अदम्य साहस, मेहनत और आत्मविश्वास से यह साबित कर दिया है कि कोई भी चुनौती इतनी बड़ी नहीं है। कोई चुनौति ऐसी नहीं जिसे पार ना किया जा सके। लगन एवं विश्वास हो तो असंभव कुछ नहीं है। अतः मित्रों, उनकी कहानी से सीखें। यह सब कुछ सीखने के लिये किसी मोटीवेटर की जरूरत नहीं है। ना ही भारी भरकम राशि खर्च कर किसी सेमिनार मे जाने की। आपको शीतल देवी की यह कहानी अवश्य पसंद आई होगी। आपके विचारों से अवश्य अवगत करायें। आपके सुझाव नीचे कमेंट बाक्स में दें। हम आपकी सहायता के लिये हैं। जब भी जरूरत हो हम उपलब्ध होगें। आपके आशीर्वाद से 35 वर्ष के विभिन्न विषयों के लेखन अनुभव एवं 62 वर्ष की उम्र में मैं सक्रिय हूं। सदा सक्रिय बना रहूंगा।

इस Inspiring stories of disabled athletes के संबंध में अवश्य लिखें।

Sheetal Devi’s journey in archery

आपकी सेवा में निरंतर उपस्थित रहूंगा। यह आपके आशीर्वाद से ही संभव होगा।

लेख के लेखक

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